चांडिल09जून। धरती आबा बिरसा मुंडा जी की पुण्यतिथि के अवसर पर नारायण प्राइवेट आई.टी.आई., लुपुंगडीह में एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत बिरसा मुंडा जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इस दौरान संस्थान के शिक्षक-शिक्षिकाओं और छात्रों ने उनके जीवन और योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें नमन किया।संस्थान के संस्थापक डॉ. जटाशंकर पांडेय एवं उपनिदेशक प्रो. सुदिष्ठ कुमार ने बिरसा मुंडा के जीवन वृतांत को प्रस्तुत करते हुए उनके संघर्षपूर्ण जीवन पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि धरती आबा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले में एक आदिवासी (मुंडा) परिवार में हुआ था। वे केवल मुंडा समाज ही नहीं, बल्कि पूरे छोटा नागपुर क्षेत्र के मसीहा थे।19वीं शताब्दी के अंत में जब ब्रिटिश शासन ने आदिवासी समुदाय के अधिकारों का दमन किया, तब बिरसा मुंडा ने "उलगुलान" नामक जनआंदोलन का नेतृत्व करते हुए ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध संघर्ष छेड़ा। वे न केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि समाज सुधारक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी थे।
उन्होंने आदिवासी समाज को अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों से मुक्त कर आत्मसम्मान, जागरूकता और एकता की राह दिखाई।सभा में बताया गया कि अंग्रेजों ने उन्हें 3 फरवरी 1900 को गिरफ्तार कर रांची जेल में डाल दिया, जहां 9 जून 1900 को केवल 25 वर्ष की आयु में उनका रहस्यमय ढंग से निधन हो गया। उनके बलिदान को आज भी देशवासी गर्व और श्रद्धा से याद करते हैं।इस अवसर पर संस्थान के सभी शिक्षकगण, छात्र एवं कर्मचारी उपस्थित थे। सभा का समापन बिरसा मुंडा जी के आदर्शों को आत्मसात करने और उनके बताए मार्ग पर चलने के संकल्प के साथ किया गया।
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Birsa Munda tribute