विस्थापित अधिकार मंच के अध्यक्ष राकेश रंजन और विस्थापित मुक्ति वाहिनी के अध्यक्ष नारायण गोप ने चांडिल डैम विस्थापित के हित में वृहद आंदोलन करने का लिया निर्णय


चांडिल :
विस्थापित अधिकार मंच के अध्यक्ष राकेश रंजन प्रेस वार्ता करते हुए जानकारी दिए की विस्थापितों का न्याय के लिए समस्याओं को लगातार मंत्री, विधायक, विभाग, पदाधिकारी के पास रख रहे हैं इसके बावजूद विस्थापितों के हक और अधिकारों को छिनने का नया नीति और गैर कानूनी निविदा बना रहे हैं आपको बता दे की झारखंड सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा एक इकरारनामा जेटीडीसी द्वारा प्रथम पक्ष एडवेंचर ट्रेवल्स अकादमी के मालिक गिरिडीह के रहने वाले गुरप्रीत सिंह के साथ किया गया है तथा सरदीप कुमार नायक को द्वितीय पक्ष बनाया गया है जो पुनरीक्षित पुनर्वास नीति 2012 का उल्लंघन है । पुनरीक्षित पुनर्वास नीति 2012 के कंडिका 8.2 (ग),(घ) में स्पष्ट रूप से कहा गया है जलाशय क्षेत्र के मत्स्य उद्योग एवं पर्यटन उद्योग संबंधी संभावनाओं के दोहन में विस्थापितों को संबंध किया जाएगा ,फिर किस आधार पर एक गैर विस्थापित गिरिडीह के निवासी को के साथ इकरारनामा किया गया । 84 मौजा 116 गांव में लगभग 50 के आसपास समितियां हैं इनमें से किसी भी समिति के साथ इकरारनामा करें हमें कोई आपत्ति नहीं लेकिन एक बाहरी व्यक्ति को कतई स्वीकार नही होगा।

 विमुवा नेता नारायण गोप ने कहा कि पर्यटन विभाग के निविदा को रद्द करने ,अन्य हक अधिकार के लिए तथा 9 जून को आयोजित आंदोलन को सफल बनाने के लिए चांडिल डैम के विस्थापित गांवों में जनसंपर्क अभियान चलाकर विस्थापितों को एकजुट करेंगे।राकेश रंजन ने आगे बताया की पुनरीक्षित पुनर्वास नीति 2012 को 31 मार्च 2027 तक अवधि विस्तार के साथ जल संसाधन विभाग अंतर्गत क्षेत्रीय कार्यालयों के लिपिक पद में सीधी नियुक्ति के लिए बनाए गए नियमावली में भी कई त्रुटि है।जल संसाधन मंत्री श्री हफीजुल हसन द्वारा 23 जनवरी 2025 को विवादित RL के बाध्यता को समाप्त कर 116 गांव का विकास कार्य शुरू करने घोषणा करने के बावजूद आज 5 महीना बीत जाने के बाद भी इसे लागू नहीं किया गया है। पुनर्वास स्थल से संबंधित कार्य एवं बसाने के लिए भूखंड आवंटन का अध्यक्ष अभी तक बनाया नहीं गया है। हर वर्ष बिना पूर्व सूचना दिए ही विस्थापित परिवारों का गांव घर को डुबाया जाता है। चांडिल डैम कार्यालय में पदस्थापित कई पदाधिकारी का अभिलंब स्थानांतरण तथा हो रहे भ्रष्टाचार का जांच कराने ।एक ही राज्य होने के बावजूद उत्तर कोयल नहर परियोजना यानी कि मंडल डैम के डूब प्रभावित क्षेत्र में आने वाले लोगों को पुनर्वासित करने के लिए विस्थापित परिवारों को 15-15 लाख रुपया दिया जा रहा है जबकि सुवर्णरेखा परियोजना विस्थापितों को सिर्फ 6 लाख 57000 दिया जा रहा है।विस्थापितों को आबुवा आवास प्रधानमंत्री आवास नहीं देने के साथ-साथ हाथियों द्वारा हुए नुकसान का आवेदन को भी अस्वीकार किया जा रहा है।साथ कई और समस्याएं है जिसका समाधान होना अति आवश्यक है इन सभी समस्याओं को त्वरित समाधान हेतु 25 जून 2025 को चांडिल डैम विस्थापित क्षेत्र के सभी समिति तथा संगठनों के साथ IB में एक बैठक करने का निर्णय लिया गया तथा उक्त बैठक में घोषणा किया जाएगा अपनी मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन 

चांडिल डैम कार्यालय का अनिश्चितकालीन गेट जाम, पेसा कानून के तहत डूबी क्षेत्र गांव में प्रशासन विधायक सांसद आदि का प्रवेश वर्जित, चांडिल से राजभवन तक मसाल जुलूस, विधानसभा घेराव, राजभवन में धरना तथा दिल्ली जंतर मंतर में धरना दिया जाएगा।

            

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