JHARKHAND FLASH NEWS कपूर बागी के अंतिम यात्रा में पहुंचे सीएम हेमन्त सोरेन, नम आंखों से अपने बड़े भाई को दी अंतिम विदाई

श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन 

 Chandil:बुधवार को गुरुजी शिबू सोरेन के भांजा झारखण्ड आंदोलनकारी सह जन संघर्ष मुक्ति वाहिनी के संयोजक कपूर बागी के अंतिम यात्रा में शामिल होकर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन शामिल होकर श्रद्धांजलि अर्पित किए। इस दौरान सीएम सोरेन काफी देर तक उनके घर में रुके और परिजनों को ढांढस बंधाया। अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए सीएम हवाई मार्ग से दोपहर ढाई बजे चाकुलिया पहुंचे। जहां उन्होंने पार्थिव शरीर का दर्शन कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नमन किया।
अंतिम संस्कार के समाजिक रश्म करते हुए मुख्य मंत्री 
उसके बाद ग्रामीणों संग अपने बड़े भाई कपूर बागी के अंतिम यात्रा में शामिल होकर शमशान तक गए और परम्परा का निर्वहन करते हुए नम आंखों से अंतिम विदाई दी। वहीं ईचागढ़ विधायक सबिता महतो समेत क्षेत्र के कई गणमान्य लोग श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए चाकुलिया पहुंचे। चांडिल प्रखण्ड के चाकुलिया निवासी कपूर बागी का मंगलवार शाम करीब 6 बजे लम्बी बीमारी के बाद असामयिक निधन हो गया। निधन की खबर सुनते ही चांडिल सहित पूरे ईचागढ़ विधानसभा में शौक की लहर दौड़ पड़ी। ज्ञात हो कि काफी लम्बे समय से कपूर बागी गुर्दे और रक्तचाप की बीमारी से ग्रसित थे। बीते कई दिनों से जमशेदपुर स्थित टाटा मुख्य अस्पताल में इलाजरत थे। 


कपूर बागी के साथी और सहयोगियों ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनके संघर्ष और कर्मठता को याद किया।

कपूर बागी का नाम कपूर टुडू था बागी उनके कार्यशैली का आधार पर उनके चाहने वालों दिया था। विदित हो कि कपूर टुडू अपने बागी तेवर के लिए चांडिल सहित पूरे कोल्हान में जाने जाते थे और इसपर स्वयं उनका कहना था यदि सच कहना बगावत है तो कपूर बागी है। वहीं स्व. बागी के अंत्येष्टि पर पहुंचे संघर्ष के साथी सरदीप नायक का कहना है कि वे अपने कर्मठता और उसूलों के लिए जाने जाते थे। वह जो कहते थे वह करके भी दिखाते थे। वहीं उनके साथी शिक्षक अमर सेंगेल का कहना है कि कपूर बागी आजीवन गरीब-गुरबा, दबे-कुचले तबके के लोगों के लिए हमेसा अग्रिम पंक्ति में खड़े रहते थे।

श्रद्धांजलि करते विधायक सबिता महतो 

अपने नाम के मुताबिक समाज के हित और अधिकार के लिए किसी से लड़ने भिड़ने में जरा भी संकोच नहीं करते थे। आज उनके आंदोलन का ही देन है कि झारखण्ड में विस्थापितों को न्याय मिलना शुरू हुआ। वे काफी समय तक चांडिल बांध विस्थापित मुक्ति वाहिनी से जुड़े हुए थे और सभी आंदोलनों में अग्रिम भूमिका निभाते थे। वहीं उनके संघर्ष के पत्रकार साथी चौका निवासी शशांक शेखर महतो ने कहा कि उनके संघर्ष के दिनों को भुलाया नहीं जा सकता। इतने बड़े राजनीतिक परिवार से रिश्ता होने के बाद भी उनमें जरा भी अहंकार नहीं। वे अपने अंतिम समय तक काफी सरल और सादगी भरा जीवन जिया। वे हमेशा हमारे यादों में रहेंगे।



कपूर बागी के बारे में:

- ▫️झारखण्ड आंदोलनकारी और जन संघर्ष मुक्ति वाहिनी के संयोजक थे 

▫️चांडिल बांध विस्थापित मुक्ति वाहिनी से जुड़े हुए थे

- ▫️गरीब-और दबे-कुचले तबके के लोगों के लिए हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़े रहते थे

▫️-▫️ ▫️ समाज के हित और अधिकार के लिए लड़ने में जरा भी संकोच नहीं करते थे


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