चांडिल, 18 जून
नारायण आईटीआई लुपुंगडीह, चांडिल में बुधवार को 1857 की महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक डॉ. जटाशंकर पांडे समेत समस्त शिक्षकगण और छात्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत रानी लक्ष्मीबाई के चित्र पर पुष्प अर्पित कर की गई।इस दौरान डॉ. पांडे ने रानी लक्ष्मीबाई के जीवन संघर्ष और वीरता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि रानी लक्ष्मीबाई (जन्म 19 नवम्बर 1828 – मृत्यु 18 जून 1858) मात्र 29 वर्ष की आयु में अंग्रेजी हुकूमत से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुईं। झाँसी राज्य की रानी के रूप में उन्होंने महिला सेना गठित कर उन्हें युद्ध का प्रशिक्षण दिया, जो अपने समय में एक क्रांतिकारी कदम था।डॉ. पांडे ने कहा कि रानी का बचपन का नाम मणिकर्णिका था, जिन्हें मनु और छबीली के नाम से भी पुकारा जाता था। उनका विवाह झाँसी के राजा गंगाधर राव नेवालकर से हुआ, जिसके बाद उन्हें लक्ष्मीबाई के नाम से जाना गया। 1857 की क्रांति में झाँसी अंग्रेजों के लिए एक बड़ा चुनौतीपूर्ण केन्द्र बन गया था।
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रानी ने झाँसी की रक्षा के लिए जी-जान लगा दी और अंततः 18 जून 1858 को ग्वालियर के समीप कोटा की सराय में युद्ध करते हुए शहीद हो गईं।इस अवसर पर संस्थान में देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत माहौल रहा।मुख्य रूप से उपस्थित एडवोकेट निखिल कुमार, प्रेम कुमार सिंह, जयदीप पांडे, शांति राम महतो, प्रकाश महतो, शुभम साहू, शशि प्रकाश महतो, पवन कुमार महतो, संजीत कुमार महतो, गौरव महतो आदि मौजूद थे।कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
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Tribute meeting



