स्वागत भाषण में निदेशिका महोदया ने योग को एक समग्र जीवन पद्धति बताया जो न केवल शरीर को स्वस्थ बनाता है, अपितु मानसिक और आत्मिक संतुलन भी प्रदान करता है।उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 की थीम “योग - एक धरती, एक स्वास्थ्य” यह स्मरण कराती है कि मानव एवं प्रकृति के स्वास्थ्य में गहरा संबंध है। योग अभ्यास के माध्यम से हम स्वयं में संतुलन स्थापित कर पृथ्वी और समस्त प्राणियों के प्रति भी उत्तरदायित्व की भावना जागृत कर सकते हैं।
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योग सत्र का संचालन प्रशिक्षित योग शिक्षक द्वारा किया गया, जिन्होंने ताड़ासन, वृक्षासन, भुजंगासन, वज्रासन, शवासन सहित अनुलोम-विलोम, कपालभाति और भ्रामरी प्राणायामों का अभ्यास करवाया।
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प्रतिभागियों ने अत्यंत अनुशासन और एकाग्रता के साथ प्रत्येक अभ्यास को अपनाया।इसके पश्चात “योग और मानसिक स्वास्थ्य” विषय पर एक विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। विशेषज्ञ वक्ता ने आधुनिक जीवनशैली में बढ़ते तनाव, चिंता और अवसाद जैसे मानसिक विकारों से निपटने में योग की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि नियमित योगाभ्यास से मन शांत, स्थिर और सकारात्मक बनता है।संकाय सदस्यों ने भी पूरे उत्साह के साथ सहभागिता की और विद्यार्थियों को योग को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को संबल देता है, बल्कि अनुशासन, आत्म-नियंत्रण और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को भी विकसित करता है। यह आयोजन न केवल एक स्वास्थ्यवर्धक पहल रहा, बल्कि छात्रों व शिक्षकों के लिए योग के गूढ़ आयामों को समझने का एक प्रेरणादायक अवसर भी बना।



